Thursday, June 10, 2010

एक आस

हर ठूँठे पेड़ में
हर टूटे सपने में
इक आस है

भले हो वह
ठूँठा अब,
पतझड़ भले ही हो जीता
पर बसंत पहली किरण...
उसके आने का सन्देश
नवीन पत्तों को जन्म देकर
सबसे पहले वही देगा
जो आज
खड़ा है ठूँठा!

भले ही वह टूटा अब,
निराशा भले हो जीती
पर आशा की पहली किरण...
उसके आने का सन्देश
फिर से नवीन जन्म लेकर
सबसे पहले वही देगा
जो आज है टूटा!

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