इस मंज़िल के पार राहें और भी हैं
ढुंढतें चलें हम उन्हें
ढुंढतें चलें हम
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चिरागों की रौशनी का हम क्या करें?
हम तो क्षम्मा के परवानें हैं
औरों को करते हैं यह रोशन
हम तो इनके प्यार में जल ही जाने हैं
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चिरागों की रौशनी का हम क्या करें?
हम तो क्षम्मा के परवानें हैं
औरों को करते हैं यह रोशन
हम तो इनके प्यार में जल ही जाने हैं
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